शनिवार, 5 दिसंबर 2009

२ क्षणिकाएँ !


दिल जलाये रक्खा था....

दिल जलाये रक्खा था,
तेरी रौशने रातों की खातिर,
शम्मं हर रात जली,
सिर्फ़ तेरे खातिर...
सैकड़ों गुज़रे गलीसे,
बंद पाये दरवाज़े,
या झरोखे,दिले बज़्म के,
सिवा उनके लिए,
वो जो मशहूर हुए,
वादा फरोशी के लिए...

२) चले आएँगे तेरे पास!

चले आएँगे तेरे पास,
जब तू ठहर जाएगा...
अपनी रफ़्तार कम है,
ऐसे तो तू बिछड़ जाएगा...
पास आनेके सौ बहाने करने वाले ,
दूर जानेकी एक वजह तो बता देता...