शनिवार, 23 अप्रैल 2011

रिश्ता


तुम से दोस्ती की है,इसलिए कहने का मन करता है...
केवल ग़रज़   की खातिर नाता कभी ना जोड़ना,
असुविधा लगे तो झट से कभी ना तोड़ना...

खून का नहीं,इसलिए कौड़ी   मोल  ना समझना ,
भावनाओं का मोल जानो,बड़प्पन  में खो ना जाना...

ज़िंदगी के हर मोड़ पे नया रिश्ता जुड़ता है,
जीवन भर पूरा हो,इतना प्यार मिलता  है...

अपनी अंजुरी आगे करना ,अभिमान ना धरना,
सिर्फ व्यवहार का लेनदेन  बीछ में ना लाना...

जितना मिले,लेते रहना,जितना हो देते रहना,
लिया दिया जब ख़त्म हो ,और मांग लेना...

 समाधान में होता है समझौता..इसे मान लो,
रिश्ता बोझ नहीं,तहे दिल से समझ लो...

बस,विश्वास के चार शब्द...दूसरा कुछ मत देना,
समझबूझ के रिश्ता निभाना,कुछ क़दम चल,पीछे मत हटना....  

शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

पलक भी ना झपकी.....

जिस रात की,चाहते थे, सेहर ही  ना हो,
पलक भी ना झपकी ,बसर हो गयी! 

उस  की पैरहन पे सितारे जड़े थे,
नज़र कैसे  उतारते ,सुबह हो गयी!

झूम के खिली थी रात की रानी,
साँस भी ना ली ,खुशबू फना  हो गयी...

जुगनू ही जुगनू,क्या नज़ारे थे,तभी,
निकल  आया  सूरज,यामिनी छल   गयी!




सोमवार, 11 अप्रैल 2011

डूबते हुये...


डूबते हुए हमे,वो लगे,
जैसे किनारे हो हमारे !
जितनेही पास गए,
वो उतनाही दूर गए,
वो भरम थे हमारे
वो कोई नही थे सहारे
उनके सामने हम डूबे
लगा,उन्हें पानीसे भय लगे!

राम नवमी की सभी दोस्त पाठकों को अनेक शुभकामनायें!


रविवार, 3 अप्रैल 2011

कीमत हँसी की.....


  क़ीमत हर हँसी की
 अश्क़ों से  चुकायी,
पता नही और कितना
कर्ज़ रहा है बाक़ी,
आँसूं  हैं, कि, थमते नही!