बुधवार, 29 अगस्त 2012

ग़म का इतिहास



लंबा गम का इतिहास यहाँ ,
किश्तों में सुनाते   हैं ,
लो अभी शुरू ही किया ,
और वो उठके चल दिया ?

 

बुधवार, 22 अगस्त 2012

किसीके लिए मैं हकीकत नही तो ना सही !

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ये   लिंक्स  हैं मेरे कुछ ब्लोग्स के।इन ब्लोग्स पे किसी बेहद दर्दनाक घटना के कारन मैंने लेखन बंद कर दिया था।   आपकी सुविधाके लिए  ये लिंक्स  यहाँ दे दिए हैं।आपलोग जब चाहें खोलके देख सकते है।

किसीके लिए मैं हकीकत नही
तो ना सही !
हूँ  मेरे माज़ी की परछायी    ,
चलो वैसाही सही !
जब ज़मानेने मुझे
क़ैद करना चाहा
मैं बन गयी एक साया,
पहचान  मुकम्मल मेरी
कोई नही तो ना सही !
रंग मेरे कयी
रुप बदले कयी
किसीकी हूँ  सहेली,
किसीके लिए पहेली
हूँ  गरजती बदरी
या किरण धूपकी
मुझे छू ना पाए कोई,
मुट्ठीमे बंद करले
मैं वो खुशबू नही.
जिस राह्पे हूँ  निकली
वो निरामय हो मेरी
इतनीही तमन्ना है.
गर हो हासिल मुझे
बस उतनीही जिन्दगी
जलाऊं  अपने हाथोंसे
झिलमिलाती शमा
झिलमिलाये जिससे
एक आंगन,एकही जिन्दगी.
रुके एक किरण उम्मीद्की
कुछ देरके लियेही सही
शाम तो है होनीही
पर साथ लाए अपने
एक सुबह खिली हूई
र्हिदय मेरा ममतामयी
मेरे दमसे रौशन वफा
साथ थोड़ी बेवफाई भी,
कई सारे चेहरे  मेरे,
ओढ़े कयी नकाब भी
अस्मत के  लिए मेरी
था ये भी ज़रूरी
पहचाना मुझे?
मेरा एक नाम तो नही...


शनिवार, 18 अगस्त 2012

ओ मेरे रहनुमा !

ओ मेरे रहनुमा !
इतना मुझे बता दे,
वो राह कौनसी है,
जो गुज़रे  तेरे दरसे!

हो कंकड़ कीचड या कांटे,
के चारसूं घने अँधेरे,
बस इक बूँद रौशनी मिले
जो तेरे दीदार मुझे करा दे!

न मिले रौशनी मुझसे
किसीको,ग़म नहीं है,
मुझसे अँधेरा न बढे,
इतनी मुझे दुआ दे!

ओ मेरे रहनुमा!
बस इतनी मुझे दुआ दे!

आजकल ऐसे लगता है जैसे मै  किसी गहरी खाई में जा गिरी  हूँ।...मेरा आक्रोश कोई सुनता नहीं....दम घुट रहा है.....आनेवाली साँसों की चाहत नहीं.....जीने का कोई मकसद नहीं....क्यों जिंदा हूँ,पता नहीं.......



शनिवार, 4 अगस्त 2012

वो वक़्त भी कैसा था.....